प्रकृति हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है प्रकृति का अर्थ है कुदरत| प्रकृति हमारी सबसे अच्छा दोस्त है प्रकृति ही है तो हमें जीने के लिए जरूरी सारी आवश्यकताओं को प्रदान करती है प्रकृति हमें सांस लेने के लिए शुद्ध हवा,पीने के लिए पानी,खाना,कपड़ा,मकान देती है जो एक मनुष्य ही नहीं हर जीव बड़ी मुख्य जरूरत है प्रकृति एक प्राकृतिक पर्यावरण है जो हमारे चारों और यह हम सारे जीव जंतु का ध्यान रखती है हम सभी का पालन पोषण करती है यह हमारे चारों तरफ एक सुरक्षात्मक कवच प्रदान करती है जो हमें नुकसान होने से बचाती है हवा,पानी,जमीन,आग,आकाश,पेड़-पौधे और पर्वत जैसे प्राकृति के बिना हम लोग इस काबिल नहीं है कि धरती पर रह सके |

प्रकृति पूर्ण रूप से हमारे लिए एक वरदान ही है जिसमें हमारे जीवन के लिए अपना सम्पूर्ण संसाधन बिना किसी शुल्क के ही उपयोग करने के लिए प्रदान कर दिया | हमारे सोर मंडल में आठ ग्रह होते है लेकिन पृथ्बी पर ही जिवें संभव है क्योंकि हमारे पृथ्बी पर जीवन दायनी प्रकृति उपस्थित है जो किसी भी अन्य ग्रहों के उपग्रहों पर नहीं है प्रकृति ने ही हमारे जीवन को बनाए रखा है प्रकृति की है  

उसका हमें सदैव संरक्षण करना चाहिए ना कि उस हरे-भरे भूमि को पेड़ पौधों को दोहन करके भूमि को बंजर नहीं बनाना चाहिए

मनुष्य स्थाई मन के वशीभूत होकर प्रकृति का उपयोग करके अधिकाधिक विकास के लिए दिया यहां तक तो ठीक है मगर अपने निजी हितों के लिए वह कुदरत प्राप्त संसाधनों का इस कदर इस्तेमाल करने लगा है जिससे प्रकृति का संतुलन ही डगमगा गया है यही वजह है कि हमें प्रकृति का अभिशाप या वीयत्स रूप भी देखने को मिलता है यह सब मनुष्य जनित कारण ही है कि जिन्होंने आज वायु का संतुलन बिगाड़ कर रख दिया हो तथा वह अपने विकास को आंधी में यह भी भूल गया है कि वह अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा है.

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प्रकृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पेड़ पौधे और हम दोनों ही एक दूसरे का पूरक है पेड़-पौधे है तो हम हैं हम ही तो पेड़-पौधे है क्योंकि हम दोनों ही एक दूसरे को उनके प्राणवायु प्रदान करते हैं हम सांस में O2  लेते हैं जो हमें पेड़ पौधों से प्राप्त होता है और हम CO2 अपने साँस से छोड़ते हैं तो वो पेड़ पौधे सांस लेने के लिए ग्रहण करते हैं तो इस तरह इस दुनिया का संतुलन बना हुआ है ये संतुलन जरा सा भी बिगड़ा तो जीवन समाप्त होना जाएगा आरंभ हो जाएगा अतः हमें प्रकृति और हमारे बीच सामंजस्य बैठाना होगा हमें एक दूसरे का संतुलन करना होगा परंतु इसके विपरीत मनुष्य यानी कि हम अपने पर्यावरण में अत्यधिक मात्रा में प्रदूषण फैला रहे हैं जो कि पेड़ पौधों प्रकृति और मनुष्य एवं सारे जीव जंतु के लिए हानिकारक है और ऐसा ही चलता रहा तो जल्दी से जल्दी समाज समाधान नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब हम युद्ध को और संपूर्ण पृथ्वी को विनाश के मुंह में जाता हुआ देखेंगे अतः जिस प्रकार हम अपने माता पिता का कर्ज अदा करते हैं

उसी प्रकार में प्रकृति का भी कर्ज अदा करना चाहिए क्योंकि प्रकृति ने हमारी पालन-पोषण की है हमें प्रकृति के संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए |  

(लेखक – धरंजय सिन्हा )      

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