पर्यावरण के प्रति सेवा भाव आदिकाल से ही चला आ रहा है हमारे ग्रंथों में इसकी अछूत चर्चा की गयी है वेद के अनुसार पृथ्बी माँ है,हम सब उनकी संतान है ग्रंथों में सूर्य,चंद्रमा,शनि,वृक्ष,भूमि आदि के पूजन का वर्णन होना यह सिद्ध करना है कि पहले के लोग प्रकृति के घटकों को ईश्वर तुल्य समझते थे.
अश्वत्थ: सर्ववृक्षानां..(भागवत गीता )
(भगवान श्री कृष्ण कहते है में सभी वृक्षो में पीपल हु)
छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा
जय शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है धरती,हवा,चल और अग्नि से बना है अर्थात इन पांच तत्व की रक्षा की आवश्यकता है ज्ञात हो की सूर्य,शनि,बृहस्पति,वट,पीपल,तुलसी आदि के पूजन की परंपरा अब भी है प्रकृति के समीप केवल भौतिक वस्तुएं जथा ऑक्सीजन भोजन फल-फूल प्रकाश आदि ही नहीं अपितु दिव्य भाव वह ज्ञान भी प्राप्त किए जा सकते हैं| जैसा कि हम सब जानते हैं छांदोग्य उपनिषद में जाबला के पुत्र सत्यकाम को प्रकृति के समीप ही ज्ञान महामुनि दत्तात्रेय ने 24 गुरु बनाए.
इतिहास में देखे तो महात्मा बुद्ध को पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर ज्ञान की प्राप्ति हुई और उनका जीवन ही बदल गया पर्यावरण संरक्षण की बात करें तो चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा जी का योगदान अविस्मरणीय है भारत में मेघा पाटकर, अनिल अग्रवाल,एम सी मेहता,एम एस स्वामीनाथन,माधव अग्रवाल,सलीम अली,एस. पी. गोदरेन का भी योगदान सहारनिय रहा है|वहीं विश्वभर पर देखे तो पर्यावरण क्षेत्र में कार्य करने वाले में चार्ल्स डार्विन,राल्फ एमसर्न,रामसर,जॉन जिन्हें सायद सबसे अच्छा पृथ्वी दिवस के संस्थापक के रूप में जाना जाता है.
देश और राजा की सरकारों का या एक अच्छा कदम है पर्यावरण शिक्षा को विषय वस्तु का हिस्सा बना दिया गया है कई विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर में एनवायरमेंट केमिस्ट्री अलग से पुस्तक चलती है इसमें बच्चे शुरू से इनके प्रति जागरूक रहेंगे मेरा मानना है कि देश के हर परिवार को पर्यावरण तथा वृक्षारोपण के प्रति जागरूक रहना चाहिए वृक्षारोपण के अवसर तथा जन्मदिन विवाह दिवस आदि ढूंढते रहना चाहिए इससे बच्चा में भी इनके प्रति जागरूकता बनी रहेगी उचित मात्रा में ऑक्सीजन देने वाले वृक्ष तथा पीपल,वट,तुलसी आदि
को बड़े पैमाने पर लगाने की आवश्यकता है अभी भी देशों में व्यक्तिगत रूप से तथा संस्था बनाकर भी पर्यावरण संरक्षण संबंधी एवं वृक्षारोपण का कार्य किया जा रहा है परंतु वे इस प्रकाश में नहीं आ रहे हैं जैसे अपने क्षेत्र में बीए नए एम यू (BNMU) का My birth my Mission और अपने यहां का SPSS (स्वच्छ पर्यावरण शिक्षित समाज ) भी है यह कार्य तो कर रहे हैं इस कार्य में सफलता तभी संभव है जब सब पैर लगाना अपना कर्तव्य समझकर योगदान दे |
एक वृक्ष का लाभ कम शब्दों में बताना संभव नहीं है कम शब्दों में कहे तो हमारे जीवन के लिए एक हवा की सर्वप्रथम आवश्यकता है और वह हमें वृक्ष से ही मिलता है|वृक्ष से औषधि की भी प्राप्ति होती है आयुर्वेद शास्त्र वनस्पति पर ही पुर्णतः टिका होता है होमोपोथियो में बहुत दवाइयों में वृक्ष का योगदान है एलोपैथी में उसकी उपेक्षा कम है |
जो ऋषि महर्षि या पर्यावरण अपने संघर्ष और तपस्या से पर्यावरण क्षेत्र में जो दिशा तैयार कर गए हैं उसे लक्ष्य तक पहुंचाना हम ही लोगों का दायित्व है या केवल हम लोग के लिए ही हितकारी नहीं होगा अपितु आने वाली पीढ़ियां के लिए भी हितकारी होगी बड़े पैमाने पर वृक्ष लगाने की आवश्यकता है |
ध्यान दें
पर्यावरण है तो हम हैं,
वृक्ष है तो जीवन है,
आओ मिलकर वृक्ष लगाए,
इस धरती को स्वर्ग बनाएं
जय हिंद ! जय भारत ! जय पर्यावरण !
लेखक :-गिरीन्द्र मोहन झा