सौरमंडल कें आठ ग्रहों में से एक पृथ्वी पर जीवन रहने का प्रमुख कारण है पर्यावरण, पर्यावरण शब्द का अंग्रेजी अनुवाद Environment होता है जो फ्रेंच शब्द Environner शब्द से लिया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है घिरा हुआ या घेरना. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार पर्यावरण किसी जीव के चारो तरफ से घिरे भोतिक एवं जैविक दशाएँ एवं इनके साथ अन्तः क्रिया को सम्मलित करता है.
पर्यावरण संरचना

पर्यावरण काफी जटिल एवं व्यापक है फिर भी अध्ययन की सुविधा के अनुसार मूल रूप से पर्यावरण को दो भागो में विभाजित किया गया है. पहला प्राकृतिक पर्यावरण दूसरा मानव निर्मित पर्यावरण
प्राकृतिक पर्यावरण
पर्यावरण का वह हिस्सा जो जीवो वा भौतिक पदार्थो से मिल कर बना है, प्राकृतिक पर्यावरण कहलाता है. इनके अंतर्गत वानस्पतिक, जैवीय, सूक्ष्मजीविय, जलीय, वायुमंडलीय आदि जीव एवं पदार्थ सम्मलित है. प्राकृतिक पर्यावरण के जलीय भाग की रचना हिम, हिमनद, नदी, झील, महासागर, वाष्प आदि करते है. इसके वायु मंडलीय भाग की रचना गैसे, तापमान, वर्षा, हवाएँ मिलकर करती है तथा इसके जैविक घटक की रचना मानव सूक्ष्मजीव तथा अन्य जन्तुओ के द्वारा होता है.
मानव निर्मित पर्यावरण
पर्यावरण का वह हिस्सा जिसकी रचना कृतिम रूप से मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से होता है, मानव निर्मित पर्यावरण कहलाता है. इसके अंतर्गत कृषि उत्पादन क्षेत्र, औद्योगिक संकुल, परिहवन संकुल, वाणिज्यिक व्यापारिक संकुल आदि आते है. इसके निर्माण में मानवीय गतिविधियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
पर्यावरण के घटक

पर्यावरण का निर्माण जिनसे मिल कर हुआ है वे सभी पर्यावरण के घटक कहलाते है.
पर्यावरण के आधारभूत संरचना के आधार पर पर्यावरण के घटक को मुख्यतः तीन भागो में बाँटा गया है पहला जैविक घटक दूसरा उर्जा घटक तीसरा अजैविक घटक या भौतिक घटक
#1. जैविक घटक
सभी जीवित चीजें पर्यावरण के जैविक घटक का निर्माण करती हैं। इसके अंतर्गत पादप, जीव एवं सूक्ष्मजीव की रखा जाता है.
(A) पादप : यह जीव जगत की बहूत बड़ी श्रेणी है जिसके अधिकांश सद्श्य प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन बनाते है. वृक्ष, फर्न, माँस हरा शेवाल और कुछ जीवाणु भी इसके अंतर्गत आते है. दुनिया भर में तीन लाख से अधिक प्रजाति के पादप ज्ञात है जिनमे 2.7 लाख से अधिक बीज वाले पादप है.पादपो में प्राण होने की पुष्टी भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चन्द्रवसु ने किया था पादपो का वैज्ञानिक अध्ययन वनस्पति विज्ञान कहलाता है.
(B) जीव : वस्तुतः जीवविज्ञान में जीव शब्द से अभिप्राय सभी जीवन सन्निहित प्राणियों से है जैसे कशेरुक की जंतु, कीट, पादप अथवा जीवाणु, जीव में एक या एक से अधिक कोशिका हो सकती है. एक कोशिका वाले जीव को एक कोशिकिए जीव कहा जाता है जैसे अमीबा. वे जीव जिनमे एक से अधिक कौशिकाए होती है, बहुकौशीकिए जीव कहलाते है जैसे मनुष्य, जानवर आदि
भोजन निर्माण के दृष्टी कौन से जीव दो प्रकार के होते है
स्वपौषी : वैसे जीव जो अपने भोजन का निर्माण स्वंय करते है जैसे हरें पौधे, साइनोवैक्टीरिया.
परपोषी : वैसे जीव जो अपने भोजन के लिए दुसरो पर निर्भर रहते है जैसे – मनुष्य, जानवर. अधिकांश जीव परपोषी ही होते है. जैविक पदार्थ की सुलभता के आधार पर परपोषी तीन प्रकार होते है. पहला मृतजीवी (ये मृत पौधे तथा जीवो से घुलित रूप से कार्बनिक योगिको को प्राप्त करते है.), दूसरा परजीवी (ये अपने आहार हेतु जीवित जीवों पर निर्भर रहते है.) तीसरा प्राणीसमयोजी (ये अपना आहार अपने मुख से ग्रहण करते है. अधिंकांश बड़े जंतु इसी श्रेणी में आते है जैसे गाय, भेंस)
(C) सूक्ष्मजीव : सामान्यतः वैसे जीव जिन्हें नंगी आँखों से नहीं देख सकते है, सूक्ष्मजीव कहलाते है. इन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता होती है. इसका अध्ययन सूक्ष्मजेविकी या माइक्रोबायोलॉजी कहलाता है. इसे मुख्यतः पांच वर्गो में विभिजित किया गया है.
- जीवाणु
- विषाणु
- कवक
- शेवाल
- प्रोटोजोआ
#2. उर्जा घटक
इसके अंतर्गत सौर्यिक उर्जा एवं भूतापीय उर्जा को रखा जाता है.
(A) सौर्यिक उर्जा : सूर्य से प्राप्त उर्जा को सौर्यिक उर्जा कहा जाता है. यह पृथ्वी के सभी जीवो के क्रियाकलापो एवं भौतिक पर्यावरण को प्रवाहित करता है. पृथ्वी पर यह उर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है.
(B) भू-तापीय उर्जा : पृथ्वी के अन्दर समाए युरेनियम, थोरियम व पोटेशियम आइसोटॉप के विकरण और पृथ्वी के कोर में उपस्थित उच्चताप तरल पदार्थ मैग्मा से उत्पन उर्जा भू-तापीय उर्जा कहलाता है.
#3. अजैविक घटक
इसके अंतर्गत मुख्य रूप से स्थलीय घटक, वायुमंडलीय घटक तथा जलमंडलीय घटक को सम्मलित किया जाता है.
(A) स्थलीय घटक : मृदा, खनिज, तत्व, शैल आदि को इसके अंतर्गत सम्मलित किया जाता है. यह अजैविक घटक जीवो के वृद्धि में सहायक होते है.
(B) वायुमंडलीय घटक : वायूमंडल से तात्पर्य पृथ्वी के चारो और भेले वायु के आवरण से है वायुमंडल में उपस्थित कुछ गेसे प्रकाश संश्लेषण ग्रीनहाउस प्रभाव जीवो व वन्स्स्पतियो के जीवित रहने के लिए आवश्यक है. वायुमंडल में सबसे अधिक नाइट्रोजन 78%, ओंक्सिजन 21%, आर्गन 0.93% कार्बन डाईऑक्साइड 0.03% तथा अन्य गैसे अल्प मात्र में पाई जाती है. वायुमंडल को पांच विभिन्न परतो में विभाजित किया गया है.
- क्षोवमंडल (मौसमी घटनाएँ इसी मंडल में घटित होती है)
- समतापमंडल (इसमें उपस्थित ओजोन गेस परावेग्नी किरण को शोख कर जीव को इससे होने वाले हानि से बचाते है.)
- मध्यमंडल (उल्कपिंड इसी मंडल में जलते है.)
- तापमंडल
- वाह्यमंडल
(C) जलीयघटक : जलीयघटक से तात्पर्य भू-पृष्ठीय महासागरीय एवं भूमिगत जल को सम्मलित किया जता है. पृथ्वी पर जीव के अस्तित्व बनाए रखने में जल का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पदार्थ है. जल पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाला एक मात्र अकार्बनिक तरल पदार्थ है. जो की संधाधन पारिस्थितिकी या आवास के रूप मे कार्य करता है.